जीएसटी कम होने पर ऑटोमोबाईल सेक्टर की बिक्री मे भारी बृद्धि हुई हैं
भारत का ऑटोमोबाइल सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। यह न केवल रोजगार का बड़ा स्रोत है, बल्कि जीडीपी में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। हाल के वर्षों में भारत में वाहन बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, और इस बदलाव के पीछे कई कारण हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण GST (वस्तु एवं सेवा कर) सुधारों का सकारात्मक असर है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि GST सुधारों ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को कैसे प्रभावित किया, बिक्री में आई वृद्धि के पीछे कौन-कौन से कारक हैं, और आने वाले समय में यह क्षेत्र किन अवसरों और चुनौतियों का सामना कर सकता है।
(1) कर प्रणाली में पारदर्शिता
GST ने टैक्स स्ट्रक्चर को पारदर्शी बना दिया है। पहले राज्यों के हिसाब से टैक्स में बड़ा अंतर होता था, लेकिन अब पूरे देश में एक समान टैक्स व्यवस्था लागू है। इससे वाहनों की कीमतों में स्थिरता आई है और ग्राहकों का भरोसा बढ़ा है।
(2) लॉजिस्टिक्स लागत में कमी
GST लागू होने से पहले राज्यों की सीमाओं पर चेकपोस्ट और अलग-अलग टैक्स जांच होती थी, जिससे वाहनों के परिवहन में देरी होती थी। अब GST के तहत ई-वे बिल सिस्टम लागू होने से लॉजिस्टिक्स समय और लागत दोनों में कमी आई है।
(3) मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा
GST क्रेडिट सिस्टम की वजह से ऑटोमोटिव कंपनियों को इनपुट टैक्स का लाभ मिलता है। इससे उत्पादन लागत घटी है और कंपनियां अब प्रतिस्पर्धात्मक दामों पर वाहन उपलब्ध करा पा रही हैं।
(4) उपभोक्ताओं के लिए सस्ती कीमतें
GST के बाद कई वाहन मॉडलों की कीमतों में कमी आई है। परिणामस्वरूप, उपभोक्ताओं के लिए कार खरीदना और भी सुलभ हुआ है। विशेष रूप से मिड-सेगमेंट कार और टू-व्हीलर मार्केट में बिक्री तेजी से बढ़ी है।
(5) डिजिटल इनवॉइसिंग और टैक्स अनुपालन में सुधार
GST ने डिजिटल इनवॉइसिंग को अनिवार्य किया है, जिससे टैक्स चोरी में कमी आई है और सरकारी राजस्व में वृद्धि हुई है। इससे सरकारी योजनाओं में निवेश के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध हुए हैं।
जीएसटी सुधारों का महत्व क्या हैं और इससे ऑटोमोबाईल सेक्टर पर क्या असर पड़ा हैं ?
गौरतलब हैं की जीएसटी को जुलाई 2017 में लागू किया गया था। इससे पहले वाहन उद्योग पर अलग-अलग कर जैसे एक्साइज ड्यूटी, रोड टैक्स, और वैट लागू होते थे, जिससे टैक्स स्ट्रक्चर जटिल हो जाता था।
GST आने के बाद टैक्स प्रणाली को सरल बनाया गया और एक समान कर ढांचा लागू किया गया।
ऑटो सेक्टर में मुख्य रूप से दो दरें लागू हैं —
-
28% बेस GST रेट,
-
और साथ में 1% से 15% तक सेस, जो वाहन के इंजन कैपेसिटी और टाइप के अनुसार लगाया जाता है। आज ऑटोमोबाईल सेक्टर मे जीएसटी कम होने से ऑटोमोबाईल सेक्टर के बिक्री मे भारी बृद्धि हुई हैं |
-
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में वाहन बिक्री में करीब 12-15% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) पर GST का प्रभाव
-
EVs पर जीएसटी दर मात्र 5% रखी गई है जबकि सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर जीएसटी दर 28 % रखी हैं | इस कदम से EV की बिक्री में बड़ी तेजी आई है। 2024 में भारत में 10 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई, जो पिछले वर्षों की तुलना में लगभग दोगुनी है। ग्रामीण बाजार में वाहन बिक्री का बढ़ना
- GST के बाद वितरण चैनल आसान होने से वाहन कंपनियां अब ग्रामीण क्षेत्रों तक अपने नेटवर्क का विस्तार कर पा रही हैं। ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर, दोपहिया और छोटे कमर्शियल वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
- इसके दो कारण हैं
- सस्ती फाइनैन्स योजनाए और वाहनों के कीमतों मे पारदर्शिता और स्थिरता
सरकार की नई पहलें और आगे का रास्ता
भारत सरकार लगातार GST सिस्टम को और सरल और उद्योग हितैषी बनाने की दिशा में काम कर रही है।
हाल ही में सरकार ने छोटे EV पार्ट्स, बैटरी पैक और चार्जिंग उपकरणों पर टैक्स रेट कम करने पर विचार किया है।
इसके अलावा, मैक इन इंडिया और परोडुकटीऑन लिंक इन्सटीव योजना के तहत ऑटो सेक्टर को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिल रहा है।भविष्य में यदि GST दरों में संतुलन और सरलीकरण जारी रहा तो भारत 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा वाहन बाजार बन सकता है।
जीएसटी सुधारों से क्या निष्कर्ष निकल सकता हैं
जीएसटी सुधारों ने भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को नई दिशा और मजबूती दी है। टैक्स स्ट्रक्चर में पारदर्शिता, लागत में कमी, और उत्पादन क्षमता में वृद्धि ने वाहन बिक्री को गति दी है।
साथ ही इलेक्ट्रिक वाहनों को दी गई रियायतों से भारत ने ग्रीन मोबिलिटी की ओर एक मजबूत कदम बढ़ाया है